Types of Garden: बढ़ते सीमेंटीकरण के बीच आजकल गार्डनिंग काफी लोकप्रिय हो रही हैं। विभिन्न प्रकार के गार्डन को नए-नए आधुनिक आईडिया के साथ तैयार किया जा रहा हैं। अगर आपकी भी रूचि गार्डनिंग के विषय में अधिक जानने में हैं तो आप सही पते पर पहुँचे हैं। इन दिनों अगर आप गार्डनिंग करने का विचार बना रहे हैं तो अब आपके पास कई सारे विकल्प उपलब्ध हैं।
हम आपको इस पोस्ट में विभिन्न प्रकार के गार्डन के बारे में बताने वाले हैं। अगर आप गार्डनिंग को शुरू करने के बारे में विचार कर रहे हैं तो पहले जान लीजिये की गार्डन कितने प्रकार के होते हैं (Types of Garden in Hindi), जिसके बाद आप अपनी सुविधा को देखते हुए जरुरत और जगह के हिसाब से अपने लिए एक बेहतर गार्डन का चयन कर सकते हैं।
गार्डन कितने प्रकार के होते हैं | Types of Garden in Hindi
ज्यादातर लोग गार्डनिंग का मतलब सिर्फ फूल के पौधे उगाना समझते हैं जबकि ऐसा नहीं हैं। सिर्फ फूल के पौधे उगाना गार्डनिंग नहीं होती हैं।कई प्रकार के गार्डन आप अपने घर पर बना सकते हैं, जिसमें आप भिन्न-भिन्न तरह के फूल और जरुरत के पौधे लगा सकते हैं। गार्डन कई प्रकार के होते हैं और सभी गार्डन के अपने फायदे-नुकसान होते हैं। साथ ही विभिन्न प्रकार के गार्डन अपनी जरुरत और रूचि के हिसाब से बनाये जाते हैं।
ज्यादातर लोग हर प्रकार के गार्डन को एक ही नजर से देखते हैं। जबकि ऐसा नहीं हैं गार्डन भी कई प्रकार के होते हैं। तो आखिर गार्डन कितने प्रकार के होते हैं? अगर आप भी जानना चाहते हैं की गार्डन कितने प्रकार के होते हैं तो हम आपको गार्डन के प्रकार (Types of Garden in Hindi) के बारे में बता रहें हैं जिसे आप अपनी रूचि और अपने घर में उपलब्ध जगह के हिसाब से तैयार कर सकते हैं।
इन ग्राउंड गार्डन (In Ground Garden)
इन ग्राउंड गार्डन को अपने घर के आसपास अथवा आगे-पीछे की तरफ तैयार किया जाता है। इन ग्राउंड गार्डन (In Ground Garden) वो गार्डन होते हैं जो गार्डन सीमित भूमि की सतह पर स्थित होते हैं। इन ग्राउंड गार्डन ईमारत के साथ जुड़े होते हैं। इन ग्राउंड गार्डन आप अपने घर के आसपास खाली पड़ी जमीन पर बना सकते हैं, हालाँकि इसे बनाने के लिए ठीकठाक जगह की आवश्यकता होती हैं।
आप अपने इन ग्राउंड गार्डन में फूल वाले पौधों, सजावटी पौधे सहित घास भी लगा सकते हैं। इस तरह के गार्डन में घास और फूल वाले पौधों को अधिक लगाया जाता है। हालाँकि आप चाहें तो घास और फूल वाले पौधों के साथ इसमें सब्जी व फल भी उगा सकते हैं। ज्यादातर लोग अपने घर को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए इस तरह के गार्डन बनाते हैं।
इस तरह के गार्डन से आपका घर काफी सुंदर और आकर्षक दिखाई तो देता ही है साथ ही आप इस गार्डन में अपने परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकते हैं। अपने घर में इन ग्राउंड गार्डन (In Ground Garden) को तैयार करने के बाद आप प्राकृतिक सौंदर्य के साथ खुली हवा में बैठकर योग, प्राणायाम सहित सुखद प्राकृतिक शांति का आनंद ले सकते हैं।
टेरेस गार्डन (Terrace Garden)
भारत के शहरी इलाकों में ज्यादातर घरों में टेरेस गार्डन (Terrace Garden) देखने को मिलता है। चूँकि शहरों के रिहायसी इलाकों में घरों के आसपास जगह की कमी होती हैं इसीलिए वह टेरेस गार्डन को ही चुनते हैं। जिन लोगों के घरों में खुली जगह नहीं होती ऐसे लोगो के घरों के लिए टेरेस गार्डन (Terrace Garden) उपयुक्त होता हैं। टेरेस गार्डन (Terrace Garden) को आप अपने घर की छत या घर की बालकनी में भी तैयार कर सकते हैं।
छत या घर की बालकनी में जगह की कमी रहती हैं ऐसे में इन जगहों पर बने गार्डन का आकर छोटा और सिमित होता है। चूंकि जगह की कमी के चलते टेरेस गार्डन (Terrace Garden) का आकार छोटा होता हैं, तो इसमें आप सिमित मात्रा में ही पौधों को लगा पाते हैं। सिमित जगह होने के चलते इन गार्डन में आपको मध्यम आकार के पौधों का भी चयन करना होता है।
टेरेस गार्डन (Terrace Garden) में आप औषधीय, सजावटी पौधों के साथ ही विभिन्न प्रकार की घरेलु उपयोगी सब्जियों को भी स्थान दे सकते हैं। सिमित जगह होने पर भी आप टेरेस गार्डन (Terrace Garden) में गमले व ग्रो बैग में पौधों को लगाकर उन्हें तैयार कर सकते हैं। टेरेस गार्डन (Terrace Garden) में पौधों का जुड़ाव जमीन से कम होता हैं इसीलिए पौधों की देखभाल की काफी ज्यादा जरुरत होती है।
वर्टिकल गार्डन (Vertical Garden)
ऊर्ध्वाधर गार्डन को ही वर्टिकल गार्डन (Vertical Garden) कहा जाता हैं। अगर आपके पास जगह की कमी हैं तो आपके लिए वर्टिकल गार्डन उपयुक्त रहेगा। वर्टिकल गार्डन (Vertical Garden) को दीवार के सहारे, खिड़कियों पर, प्लांट स्टैंड, हैंगिंग पॉट्स की मदद से तैयार किया जाता है। जिसे आप अपनी सहूलियत के हिसाब से घर के अंदर, बाहर या फिर छत व बालकनी में भी तैयार कर सकते हैं।
वर्टिकल गार्डन का उपयोग आजकल शहरी इलाकों को सुंदर बनाने के लिए भी किया जा रहा हैं। कई शहरों में आपको जगह जगह कई वर्टिकल गार्डन (Vertical Garden) देखने को मिल जायेंगे क्योंकि यह काफी आकर्षक दिखाई देता है। खाली पड़ी दीवारों को सुंदर एवं आकर्षक बनाने के लिए वर्टिकल गार्डन (Vertical Garden) को बनाने का क्रेज बढ़ता जा रहा है।
वर्टिकल गार्डन (Vertical Garden) को तैयार करने के लिए मध्यम और छोटे आकार के पौधों का इस्तेमाल किया जाता है। वर्टिकल गार्डन (Vertical Garden) बेहद आकर्षक होते हैं लेकिन इनकी देखरेख व रखरखाव अधिक करना होता हैं। सबसे जरुरी बात पौधों कटाई-छटाई भी समय-समय पर करनी होगी, जिससे की पौधों का आकार सीमित रहे।
किचन गार्डन (Kitchen Garden)
किचन गार्डन (Kitchen Garden) में घरेलु उपयोग में आने वाले पौधों को लगाया जाता हैं। खासकर ऐसे पौधे जिनका उपयोग घरों में सब्जियों के रूप में किया जाता हैं। बाजार में मिलने वाली सब्जियों में अत्यधिक मात्रा में उर्वरक और केमिकल उपयोग के चलते लोगों ने घरों पर ही सब्जियां उगाने का सोचा और इस सोच का ही नतीजा हैं किचन गार्डन (Kitchen Garden)।
अत्यधिक उर्वरक और केमिकल वाली सब्जियां खाने से बेहतर लेगों ने अपने घरों में ही किचन गार्डन (Kitchen Garden) को तैयार करना शुरू कर दिया है। घर की रसोई में उपयोग होने वाली सब्जी, फल एवं मसालों को किचन गार्डन में उगाया जाता हैं। अगर आपके घर के आसपास खुली जगह हैं तो किचन गार्डन (Kitchen Garden) को आप वहां तैयार कर सकते हैं। लेकिन अगर जगह की कमी हैं तो आप इसे छत या बालकनी में भी तैयार कर सकते हैं।
अगर आप किचन गार्डन (Kitchen Garden) को खुले स्थान पर तैयार करते हैं तो पौधों को सीधा जमीन पर लगा सकते हैं। मगर आप इसे छत या बालकनी में तैयार करना चाहते हैं तो आपको गमले व ग्रो बैग (Grow Bag) में पौधे उगाने पड़ेंगे। इस गार्डन में उर्वरक और केमिकल के बजाय सब्जियों के छिलकों या टुकड़ों से तैयार खाद का उपयोग कर सकते हैं। आप चाहें तो इसमें गोबर के खाद (Cow Dung) और वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
जड़ी-बूटी गार्डन | Herb Garden
जड़ी-बूटी गार्डन एक ऐसा बगीचा होता है जहाँ विभिन्न औषधीय और सुगंधित पौधों को उगाया जाता है, जो न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं बल्कि वातावरण को भी शुद्ध और मनमोहक बनाते हैं। प्राचीन काल से ही भारत में जड़ी-बूटियों का विशेष महत्व रहा है। आयुर्वेद जैसे पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में तुलसी, गिलोय, एलोवेरा, पुदीना, लेमनग्रास, अश्वगंधा, नीम और ब्राह्मी जैसी अनेक जड़ी-बूटियों का उपयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और विभिन्न बीमारियों के उपचार में किया जाता रहा है। ये पौधे न केवल दवाओं में उपयोगी हैं, बल्कि दैनिक जीवन में चाय, काढ़ा या घरेलू उपचार के रूप में भी प्रभावी रूप से इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
आज के समय में, जब रासायनिक दवाओं के दुष्प्रभाव बढ़ रहे हैं, लोग फिर से प्राकृतिक और जैविक जीवनशैली की ओर लौट रहे हैं। ऐसे में अपने घर में छोटा सा जड़ी-बूटी गार्डन बनाना न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है बल्कि यह एक शांतिपूर्ण और संतोषजनक अनुभव भी प्रदान करता है। इस प्रकार के गार्डन के लिए बहुत बड़ी जगह की आवश्यकता नहीं होती – आप इन्हें अपने बालकनी, टैरेस, आँगन या रसोई की खिड़की के पास भी सजा सकते हैं।
इन पौधों को उगाने के लिए ढीली, उपजाऊ और पानी की अच्छी निकासी वाली मिट्टी की जरूरत होती है। जड़ी-बूटियाँ रासायनिक उर्वरकों से जल्दी खराब हो सकती हैं, इसलिए इसमें गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट या अन्य जैविक खाद का प्रयोग करना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, पौधों को प्रतिदिन पर्याप्त धूप मिले, इसका ध्यान रखना चाहिए क्योंकि अधिकांश जड़ी-बूटियाँ गर्म और उज्ज्वल वातावरण में ही अच्छी तरह बढ़ती हैं।
आप गमलों, ग्रो बैग्स या सीधे भूमि में भी तुलसी, गिलोय, एलोवेरा, पुदीना, धनिया, लेमनग्रास और करी पत्ता जैसी जड़ी-बूटियाँ उगा सकते हैं। नियमित रूप से पौधों की सिंचाई करें लेकिन जलभराव से बचें, क्योंकि अत्यधिक नमी जड़ों को सड़ा सकती है। पौधों की समय-समय पर कटाई (प्रूनिंग) करने से उनकी वृद्धि बेहतर होती है और नए पौधे भी जल्दी विकसित होते हैं।
फूलों का गार्डन | Flower Garden
फूलों का गार्डन किसी भी घर या स्थान को जीवंतता और आकर्षण से भर देता है। यह न केवल देखने में सुंदर लगता है, बल्कि मन को प्रसन्न करने और वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भरने का काम भी करता है। फूलों की सुगंध और रंगों का संयोजन ऐसा जादू पैदा करता है जो तनाव को कम करता है और मन में शांति का अनुभव कराता है। आप अपने घर की छत, बालकनी, आँगन या खुले आँगन वाले हिस्से में आसानी से एक छोटा या बड़ा फूलों का गार्डन तैयार कर सकते हैं।
इस गार्डन में विभिन्न प्रजातियों के फूलों को स्थान देना सबसे अच्छा रहता है। आप चाहें तो मौसमी फूलों जैसे गेंदा, गुलाब, गुड़हल, पिटूनिया, सूरजमुखी, डेज़ी, बेला, चमेली या लैवेंडर जैसे पौधे लगा सकते हैं। इन फूलों की रंगीन पंखुड़ियाँ न केवल देखने में सुंदर होती हैं बल्कि कई में प्राकृतिक सुगंध भी होती है जो आपके पूरे घर का माहौल महका देती है।
फूलों का गार्डन बनाते समय मिट्टी का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। पौधों के लिए ऐसी मिट्टी चुनें जिसमें अच्छी जल निकासी हो और जो कार्बनिक पदार्थों से भरपूर हो। मिट्टी में गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट या पत्तों की खाद मिलाने से फूलों की वृद्धि और खिलने की क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा, गार्डन को ऐसी जगह बनाएं जहाँ प्रतिदिन कम से कम 4-5 घंटे की धूप मिले, क्योंकि अधिकतर फूल धूप में ही अच्छी तरह खिलते हैं।
पौधों की नियमित सिंचाई और देखभाल भी जरूरी है। पानी इतना ही दें कि मिट्टी नम रहे, लेकिन जलभराव से बचें। सूखी या मुरझाई हुई पत्तियों और पुराने फूलों को समय-समय पर हटाते रहें, इससे नए फूल जल्दी आते हैं। यदि किसी पौधे में कीट या रोग के लक्षण दिखाई दें, तो जैविक कीटनाशक या नीम ऑयल का प्रयोग करें।
कंटेनर गार्डन | Container Garden
कंटेनर गार्डन (Container Garden) एक आधुनिक बागवानी पद्धति है जिसमें पौधों को जमीन में लगाने के बजाय विभिन्न प्रकार के कंटेनरों, ग्रो बैग्स (Grow Bags), गमलों या पॉट्स में उगाया जाता है। यह विधि उन लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है जिनके पास सीमित जगह होती है, जैसे कि फ्लैट, अपार्टमेंट या छोटे घरों में रहने वाले लोग। कंटेनर गार्डन को आप घर के अंदर (इंडोर) या बाहर (आउटडोर) दोनों जगह बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, बालकनी, छत, खिड़की की सिल या आँगन जैसी जगहें कंटेनर गार्डन के लिए उपयुक्त होती हैं।
इस गार्डन में आप फूलों के पौधे, सजावटी पौधे, हर्ब्स (जैसे तुलसी, पुदीना, धनिया), सब्ज़ियाँ (जैसे टमाटर, मिर्च, बैंगन, पालक) या यहाँ तक कि छोटे फलों के पौधे भी उगा सकते हैं। कंटेनरों में पौधे लगाने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि आप मिट्टी की गुणवत्ता, पानी की मात्रा और पौधे की धूप की जरूरत के अनुसार हर कंटेनर को नियंत्रित कर सकते हैं। इसके अलावा, कंटेनरों को आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है, जिससे पौधों की देखभाल और सजावट दोनों सरल हो जाती हैं।
स्क्वायर फुट गार्डन | Square Foot Garden
स्क्वायर फुट गार्डन (Square Foot Garden) एक आधुनिक और सुव्यवस्थित बागवानी पद्धति है, जिसका उद्देश्य कम जगह में अधिक और विविध प्रकार के पौधे उगाना होता है। इस पद्धति में बगीचे की जमीन को बराबर वर्गों में बाँटा जाता है, आमतौर पर प्रत्येक वर्ग एक फुट × एक फुट का होता है। हर वर्ग में एक या अधिक पौधे लगाए जाते हैं, जो उनके आकार और आवश्यकता के अनुसार व्यवस्थित किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, एक वर्ग में एक टमाटर का पौधा, दूसरे में चार पालक के पौधे या नौ मूली के पौधे लगाए जा सकते हैं।
इस तरह का गार्डन घर के आँगन, छत या छोटे खुले हिस्से में आसानी से तैयार किया जा सकता है। इसके लिए किसी बड़ी जगह या जटिल उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती। जमीन पर लकड़ी, ईंट या प्लास्टिक की सीमाओं से वर्ग फुट क्षेत्र को चिह्नित किया जाता है और उसमें अच्छी गुणवत्ता वाली मिट्टी और जैविक खाद मिलाई जाती है। इस मिश्रण से पौधों को आवश्यक पोषक तत्व आसानी से मिलते हैं और जड़ों की वृद्धि बेहतर होती है।
स्क्वायर फुट गार्डन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण और रखरखाव बहुत आसान होता है। पानी की बचत होती है और पौधों को पर्याप्त धूप तथा पोषण मिलता है। इस विधि में प्रायः अलग-अलग प्रकार की सब्जियाँ जैसे टमाटर, मिर्च, पालक, धनिया, गाजर, या मूली उगाई जाती हैं। कुछ मामलों में छोटे मौसमी फलों जैसे स्ट्रॉबेरी या पपीता के पौधे भी लगाए जा सकते हैं।