NEET SCAM 2024: नीट पेपर लीक में अबतक क्या क्या हुआ? | NEET Scam Exposed

NEET SCAM 2024: प्री मेडिकल एग्जाम नीट के रिजल्ट को लेकर पूरे देश में जमकर बवाल मचा हुआ हैं। इस एग्जाम में लगभग 24 लाख स्टूडेंट्स शामिल हुए थे जिनमें से करीब 13 लाख स्टूडेंट्सने इसमें क़्वालीफाई भी किया। शुरुआत में 1500 स्टूडेंट्स को मनमानीतरीके से ग्रेस मार्क्स दिए जाने और 67 छात्रों के रैंक वन आने पर सबसे ज्यादा बवाल मचा हुआ था लेकिन अब बात नीट एग्जाम के पेपर लीक तक पहुँच चुकी हैं।

जैसे जैसे मामले की परतें खुलती जा रही हैं इससे एक बात स्पष्ट हैं की ना ही टेस्टिंग एजेंसी को और ना ही सरकारों को स्टूडेंट्स के फ्यूचर से कोई लेना देना हैं। हम सभी जानते हैं की अपने भविष्य को लेकर स्टूडेंट्स पर जबरदस्त प्रेशर रहते हैं, एक्साम्स और नौकरियों में कॉम्पिटिशन बहुत टफ हैं, देश में अच्छे कॉलेजेस की भयंकर कमी हैं, कुछ अच्छे कॉलेजेस हैं भी तो उनमें सीटों की सख्त कमी हैं।

कड़ी मेहनत और सालों तक दुनियादारी से कट कर एग्जाम कीतैयारी करने के बाद जब स्टूडेंट्स एग्जाम तक पहुँचते हैंऔर फिर व्यापम और नीट की तरह स्कैम हो जाता हैं।

यहाँ बात सिर्फ नीट एग्जाम में ठगे गए 24 लाख स्टूडेंट्स की नहीं हैं यहाँ बात हर उस स्टूडेंट की हैं जो अपनी पूरी लाइफ सैक्रिफाइस कर देता हैं इन एक्साम्स में क़्वालीफाई करने के लिए, यहां बात हर उन माता पिता की हैं जो अपने बच्चों के फ्यूचर के लिए अपने जीवन भर की जमा पूंजी लगा देते हैं।

सब कुछ भूल कर स्टूडेंट्स सिर्फ इतना एक्सपेक्ट करते हैं की उन्हें एक फेयर चांस मिलेगा अच्छे कॉलेज में एड्मिशन के लिए लेकिन फिर पेपर लीक हो जाते हैं। जिसके बाद ना सिर्फ स्टूडेंट्स बल्कि लाखों परिवार बर्बाद हो जाते हैं। NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में 13,000 से ज्यादा स्टूडेंट्स ने सुसाइड कर लिया। जिनमें से 18 साल से कम उम्र के लगभग 1200 स्टूडेंट्स ने सिर्फ इस लिए जान दे दी क्योंकि वो एग्जाम्स में फ़ैल हो गए थे।

नीट देश की ही नहीं, दुनिया की सबसे टफ एग्जाम्स की लिस्ट में शामिल है. हर साल लाखों स्टूडेंट्स ट्वेल्थ के बाद नीट यूजी एग्जाम देते हैं. 2024 में भी करीब 24 लाख से अधिक स्टूडेंट्स ने नीट यूजी परीक्षा दी थी. नीट रिजल्ट पर छात्रों का आरोप है कि कई छात्रों के अंकों को मनमाना ढंग से घटाया या बढ़ाया गया है, जिसका असर उनकी रैंक पर हुआ है। 24 लाख से ज्यादा छात्रों वाली प्रवेश परीक्षा का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच गया है।

आइये जानते हैं कि नीट-यूजी मामले में अब तक क्या हुआ है?

  • कथित इर्रेगुलरिटीज़ क्या हैं?
  • छात्रों को ग्रेस मार्क्स क्यों दिए गए?
  • आरोपों पर एनटीए का रुख क्या है?
  • सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?

सबसे पहले समझते हैं NEET-UG क्या है? और यह एग्जाम कौन लेता है?

NEET-UG यानी नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट-अंडर ग्रेजुएट. हर साल मेडिकल की पढ़ाई- एमबीबीएस, बीडीएस या आयुष कोर्सेस के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानि NTA इस एग्जाम को देश भर में कंडक्ट करती है. हर साल भारत में 542 मेडिकल, 313 डेंटल, 914 आयुष और 47 बीवीएससी और एएच कॉलेजों में एडमिशन के लिए NEET-UG आयोजित की जाती है.

अब जानते हैं की 2024 NEET-UG के रिजल्ट पर क्यों उठ रहे सवाल?

NTA ने जब मंगलवार, 4 जून को 2024 NEET-UG का रिजल्ट जारी किया तो चर्चा हर ओर होने लगी. वजह थी इस एग्जाम में कुल 67 अभ्यर्थियों ने परफेक्ट स्कोर यानी 720 में 720 नंबर हासिल किया. सारे ही टॉपर घोषित हुए. इसमें भी खास बात यह थी कि इन 67 टॉपर में से 44 टॉपर ग्रेस मार्क्स लेकर टॉपर बने हैं. एक साथ 67 अभ्यर्थियों के टॉपर बनने पर एक साथ सवाल इसलिए उठे क्योंकि 2019 के बाद से, NEET UG के किसी भी साल में तीन से अधिक टॉपर नहीं हुए हैं.

ग्रेस मार्क्स देने की अलग अलग वजहें सामने आयी हैं। जिनमे से एक वजह यह हैं की ग्रेस मार्क्स पाने वाले स्टूडेंट्स ने एक सवाल का गलत जवाब दिया था और इस गलत जवाब के पीछे की वजह कक्षा 12 की पुरानी NCERT साइंस की किताब में मौजूद गलती थी.

दूसरी वजह यह बताई गयी की ग्रेस मार्क्स पाने वाले कुछ स्टूडेंट्स को एग्जाम सेंटर्स में प्रॉपर टाइम नहीं मिल पाया। प्रॉपर टाइम नहीं मिलने की वजह यह बताई गयी की स्टूडेंट्स को गलत कोस्चन पेपर दिया गया, फटी हुई ओएमआर शीट मिली या ओएमआर शीट बांटने में देरी हुई। एनटीए का कहना हैं की स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स देने का ये फार्मूला 2018 के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तैयार और अपनाया गया था।

सवाल सिर्फ 67 बच्चों के टॉपर बनने पर नहीं उठ रहा. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने 2024 NEET-UG मेरिट लिस्ट की तस्वीरें पोस्ट कीं हैं जिसे खुद NTA ने शेयर किया था. इसमें साफ दिख रहा है कि एक ही सेंटर के आठ छात्रों को परफेक्ट स्कोर यानि 720 नंबर मिले हैं. यानी 8 टॉपर एक ही सेंटर के हैं.

इतना ही नहीं, कुछ स्टूडेंट्स को 718 और 719 नंबर भी मिले हैं. अब स्टूडेंट्स इस पर भी सवाल उठा रहे हैं क्योंकि इस एग्जाम में सही जवाब पर 4 नंबर मिलते हैं जबकि गलत जवाब देने पर एक नंबर काट लिया जाता है. अब छात्रों का कहना है कि किसी भी हालत में किसी को 718 या 719 मार्क्स नहीं आ सकते क्योंकि यह गणित के हिसाब से संभव ही नहीं है.

NTA ने क्या जवाब दिया?

हर तरफ से उठते सवालों के बीच एग्जाम लेने वाली एजेंसी NTA ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर ट्वीट करके जवाब दिया है. जिसे आप पढ़ सकते हैं। इसके अलावा 718 या 719 नंबर आने पर उठते सवालों पर एजेंसी ने किसी भी तरह की अनियमितता से इनकार करते हुए कहा कि परीक्षा सेंटर पर कुछ छात्रों को पूरा समय नहीं मिला था, जिसकी वजह से भी उनको ग्रेस मार्क मिला है.

“नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 13.06.2018 के अपने फैसले के तहत तैयार और अपनाया है, NEET-UG 2024 के उम्मीदवारों को हुई समय की बर्बादी की वजह से इसे लागू किया गया था.” NTA के अनुसार लगभग 1,563 छात्रों को समय के नुकसान के बदले ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा मामला

सबसे पहले 17 मई को सुप्रीम कोर्ट में इससे संबंधित एक याचिका दायर की गई, जिसमें याचिकाकर्ता ने पेपर लीक का हवाला देते हुए नीट की परीक्षा दोबारा कराने की मांग की थी. अभ्‍यर्थियों का आरोप था कि 5 मई को नीट परीक्षा के दौरान कुछ सेंटरों से पेपर लीक होने की खबरें थी. उसके बाद भी परीक्षा कराई गई.

नीट में गड़बड़ी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई 8 जुलाई को होने वाली है। नीट यूजी एग्जाम 2024 के तुरंत बाद से ही नीट पेपर लीक, नीट कैंसिल समेत जितनी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई हैं, उन सभी पर इकट्ठे सुनवाई की तारीख 8 जुलाई दी गई है।

इस बीच 23 जून को उन छात्रों के लिए नीट री एग्जाम आयोजित किया जा रहा है जिन्हें पहले ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। लेकिन बाद में एनटीए ने Grace Marks वापस ले लिए। इसके अलावा नीट यूजी काउंसलिंग 2024 की शुरुआत 6 जुलाई से हो सकती है। कोर्ट ने NEET Counselling पर रोक नहीं लगाई है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि अगर काउंसलिंग के बाद भी ये साबित होता है कि नीट का पेपर लीक हुआ या धांधली हुई थी, तो भी परीक्षा रद्द की जा सकती है।

अब क्या नया अपडेट हैं?

इन सब के बीच बिहार में एक छात्र अनुराग यादव ने नीट पेपर लीक की बात कुबूली है। पटना पुलिस के सामने Anurag Yadav ने बयान दिया है कि उसके फूफा ने कोटा से उसे पटना बुलाया। परीक्षा से एक रात पहले उसे पेपर लीक माफियाओं के घर पर छोड़ा। जहां उसे नीट का पेपर और सभी सवालों के उत्तर रटवाए गए। अगले दिन परीक्षा में 100% सवाल मैच हुए।

नीट पेपर लीक में संजीव मुखिया का नाम सामने आ रहा हैं। नालंदा के नगरनौसा गांव के रहने वाले संजीव मुखिया के पास ही सबसे पहले नीट एग्जाम का कोश्चन पेपर पहुंचा था। इसके बाद संजीव ने सिकंदर यदुवंशी और अन्य आरोपियों को पेपर उपलब्ध कराया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 4 मई की रात और 5 मई को नीट के स्टूडेंट्स को कोश्चन पेपर के आंसर पटना के खेमनीचक स्थित प्ले एंड लर्न स्कूल के हॉस्टल में रटवाया गया था।

संजीव मुखिया इससे पहले बीएससी शिक्षक बहाली पेपर लीक में जेल जा चुका है। वहीं उसका बेटा शिवकुमार भी इसी मामले में अभी भी जेल में बंद है। संजीव मुखिया को परीक्षा का प्रश्न पत्र एक प्रोफेसर ने उपलब्ध करवाया था। बताया जाता है कि मोबाइल के माध्यम से प्रोफेसर ने संजीव मुखिया को प्रश्न पत्र भेजा था। इसके बाद संजीव ने हर छात्र से 40 लाख रुपये प्रश्न पत्र के बदले में मांगे थे।

इस 40 लाख में से 30 से 32 लाख रुपये ऊपर भेजे जाने थे। जबकि 8 लाख बिचौलियों को दिए जाने थे। इसकी पूरी प्लानिंग संजीव मुखिया ने ही की थी। संजीव मुखिया की पत्नी ममता कुमारी हरनौत विधानसभा से लोजपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुकी हैं। संजीव मुखिया गैंग के दो लोग और गिरफ्तार किए गए हैं। आरोपियों के नाम पिंटू और चिंटू है, कहा जा रहा है कि पिंटू ने ही चिंटू के कहने पर प्रश्न पत्र का प्रिंट निकलवाया था। दोनों आरोपी झारखंड के देवघर से हुए गिरफ्तार किए गए हैं।

देश में लगातार बढ़ते पेपर लीक्स के मामलों से निपटने के लिए केंद सरकार एक नया कानून लेकर आयी हैं। देश में एंटी-पेपर लीक कानून यानी पब्लिक एग्जामिनेशनएक्ट लागू हो गया है। केंद्र ने शुक्रवार 21 जून की आधी रात इसका नोटिफिकेशन जारी किया। यह कानून भर्ती परीक्षाओं में नकल और अन्य
गड़ब​ड़ियां रोकने के लिए लाया गया है। इस कानून के तहत, पेपर लीक करने या आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने पर कम से कम 3 साल जेल की सजा होगी। इसे 10 लाख तक के जुर्माने के साथ 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

एक्साम्स में स्कैम और पेपर लीक अब भारत में आम बात हो चुकी हैं पहले ये यूपी बिहार एमपी राजस्थान जैसे कुछ राज्यों तक सिमित था, देश के कुछ राज्यों में ज्यादा देखने को मिलता था लेकिन अब यह एक राष्ट्रिय समस्या बन चूका हैं। फिर चाहे वो नीट एग्जाम हो या यूजीसी नेट एग्जाम। लाखों स्टूडेंट्स का फ्यूचर बर्बाद होने के बाद ऐसा लग रहा हैं की सरकार अब नींद से जाग रही हैं लेकिन बात अब भी वही हैं की लाखों स्टूडेंट्स के फ्यूचर का होगा?

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